राष्ट्र हित में कविता – “विश्वाश”……. प्रमाण की जरूरत नहीं , आस्था को । “विश्वाश” की जरूरत है , आस्था को ।। आस्था से मन , समर्पित होता है । पर “विश्वाश” की जरूरत है, आस्था को ।। “विश्वाश” के रास्ते बना लो , मंजिलें मिल जाएंगी । मंजिलें न […]
ग़ज़ल बेबसी ज़ाहिर न करना हर किसी के सामने मशवरा अच्छा बहुत है आप ही के सामने कोई कर ले कोशिशें जितनी झुकाने की मगर सर हमारा बस झुकेगा उस नबी के सामने ज़िंदगी बर्ताव उससे नौकरों सा करती है टेक देता है जो घुटने ज़िंदगी के सामने बाद मुद्दत […]
अखंड भारत के लौहपुरुषों की ललकार हूं मैं, भीष्म की प्रतिज्ञा, परशुराम का फरसा कटार हूं मैं, राणा – शिवा की शक्ति , कालीदास का ज्ञान हूं मैं, ध्रुव की दृढ़, प्रहलाद की भक्ति चंद्रगुप्त महान हूं मैं, राम की मर्यादा, लक्ष्मण का त्याग हूं मैं, भरत का भाई प्रेम,भर्तृहरी […]
हम दिखा रहे हैं आगे भी दिखाएंगे आप देख रहे हैं आगे भी देखेंगे वो दिन जिसका वादा है जिसको लेकर हमारा दृढ इरादा है शहर जलाने वाले कान खोलकर सुन लें यहाँ उनकी नहीं चलेगी कोई और जगह वे चुन लें धर्म के नाम पर बांटने वाले रुई की […]
सावरकर पे संग्राम छिड़ल बा सब आपस में भीड़ल बा के जीती के हारी केकरा होई फायदा केकरा पड़ी भारी इ त समय बताई केकरा हाथ का आई लेकिन वीरन के योगदान पे अलगवाद काहे सावरकर के सम्मान पे विवाद काहे […]
मेरे फौजी भाइयों को समर्पित क्यों न रहूं मैं मौज़ में, मेरे भैया जो हैं फौज में, जब वो वर्दी पहन के चलते हैं, तब दुश्मन के दिल जलते हैं, उनका फौलादी जिगर, फौलादी बाहें, चीता सा चप़ल शेर सी निगाहें, उनको न छाँव की खबर हैं, न धूप का […]
विश्वास की अंधी दौड़ दौड़ता है आदमी जोड़ता है कुछ सपने,कुछ उम्मीदें उसके अपनों से मरोड़ता है तकलीफ की आंधी को मन ही मन टूटने पर भरम, कोसता है मसोसता है भावों की पोटली नोचता है कलेजे का धुआं ! कचोटता है अपनी चोट को और फिर लौट पड़ता है […]
रौनकें… —————————————————– जिनके दम पर रौनकें थीं,शहरों में जा बसे, वरना गांव हमारा वीरान तो न था। हसीं खुशी और विश्वास उसकी दीवारें थी, मेरे गांव का वो घर सिर्फ मकान तो न था। गांव की कच्ची सड़कों पर पक्के इरादे पलते थे, हमारे गांव में सूरज भी नदी से निकलते […]
कुछ लम्हों के , एहसास बाकी हैं । खुले है जिंदगी के आधे पन्ने, अभी तो जिंदगी के सारे राज़ बाकी हैं।। ना तुम हो गुनाहगार ,ना हमने कोई ख़ता की है । फिर भी कुछ सज़ा है और सुनने के लिये कई इल्ज़ाम बाकी है ।। कुछ ………. धुन […]
अब मेरे पंख मेरे साथ नहीं अब क्या रोऊं मैं, रूह भी रो गई उस दिन मेरी । कुछ सांस बाकी है, वैसे जान तो चली गई उस दिन मेरी ।। हाँ नफरत है मुझे ,उन सारी परियों की कहानी से । दुनिया में जो बची नहीं, वहसी,दरिंदो की जुबानी […]